सचिवालय में गत 5 सालों से अधिक समय से सेवा कर रहे 250 अधिकारियों के स्थाईकरण का मामला
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लखनऊ/19 जूलाई/ उत्तर प्रदेश शासन में 2010 बैच के नियमित पदों पर लोक सेवा आयोग से चयनित सीधी भर्ती के लगभग ढाई सौ राजपत्रितअपर निजी सचिवों के मामले में एक ओर सीबीआई जांच से आच्छादित 2013 से 2016 बैच के समीक्षा अधिकारियों का नियमावली का हवाला देकर सचिवालय प्रशासन विभाग ने एक ओर उन्हें स्थाई करते हुए अनुभाग अधिकारी के पदों पर पदोन्नति दे दी परंतु वहीं दूसरी ओर सचिवालय में गत 5 सालों से अधिक समय से सेवा कर रहे इन 250 अधिकारियों को स्थाई नहीं किया गया।
स्थाई ना किए जाने के कारण महिला अपर निजी सचिवों को चाइल्ड केयर लीव, GPF से निकासी व ऐसे ही अनेक सेवा सबंधी लाभों से वंचित रखा जा रहा है, इससे क्षुब्ध होकर इन अपर निजी सचिवों ने माननीय मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से सचिवालय प्रशासन के अधिकारियों द्वारा दोहरा मापदंड अपनाने और भेदभाव करने का खुलासा किया। मामले की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए आख्या मांग ली।
सचिवालय प्रशासन के अधिकारियों को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो मुख्यमंत्री के निर्देशों पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जनवरी 2023 में न्याय विभाग, वित्त विभाग, कार्मिक विभाग, गृह विभाग और सचिवालय प्रशासन विभाग के अधिकारियों के साथ जनवरी 2023 में बैठक की।
नियमों पर विचार विमर्श करते हुए गंभीर मंथन के बाद न्याय विभाग के परामर्श पर निर्णय लिया गया कि सीबीआई जांच में होने वाले अंतिम निर्णय के अधीन इन अपर निजी सचिवों को स्थाई किए जाने में कोई भी विधिक बाधा नहीं है अगर सीबीआई जान में कोई अपर निजी सचिव दोषी पाया जाएगा तो उसके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करते हुए विधिक कार्यवाही की जाएगी।
नाम ना छापने की शर्त पर सचिवालय प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव के कार्यवृत्त पर फरवरी 2023 में कार्रवाई के लिए जब फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गयी तो एक कद्दावर अधिकारी के कहने पर मामले को लिंगर ऑन रखा गया।
जब अपर निजी सचिव को यह स्पष्ट हो गया कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के आदेशों की अवहेलना सचिवालय प्रशासन विभाग स्तर पर हो रही है तो मामला हाईकोर्ट पहुंचा।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए जज ने कहा कि जब सीबीआई जांच से आच्छादित समीक्षा अधिकारियों को नियमों के तहत स्थाई करके पदोन्नत किया जा चुका है तो एक जैसे समान प्रकरण में अपर निजी सचिवों को स्थाई क्यों नहीं किया जा रहा है?
कोर्ट ने मई 2023 में सचिवालय प्रशासन विभाग को 1 माह का समय दिया कि प्रकरण में अपना एफिडेविट दाखिल करें। सचिवालय प्रशासन विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नियमों का हवाला देते हुए सीबीआई जांच में होने वाले निर्णय के अधीन इन ढाई सौ अपर निजी सचिवों को स्थाई करते हुए समस्त सेवा संबंधी लाभ दिए जाने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री और माननीय मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त किया। सचिवालय प्रशासन विभाग के अधिकारी ने आगे यह भी बताया कि सचिवालय प्रशासन विभाग के एक अधिकारी अपनी हठधर्मिता के चलते इन अपर निजी सचिव को ना ही स्थाई करना चाहते हैं और ना ही सेवा संबंधी लाभ देना चाहते हैं जबकि मुख्यमंत्री से जून 2023 में ही प्रस्ताव पर अनुमोदन प्राप्त कर लिया था।
अब प्रश्न उठता है कि सूबे के मुख्यमंत्री का आदेश आखिरकार सचिवालय प्रशासन विभाग के अधिकारी क्यों नहीं मान रहे हैं ऐसा क्या है कि एक समान प्रकरण में सचिवालय प्रशासन विभाग इन अधिकारियों को सेवा संबंधी लाभों से वंचित रखना चाहते हैं।- सूत्र
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