कल 6 अक्टूबर दिन शुक्रवार को किसानों के मसीहा महात्मा महेंद्र सिंह टिकैत जी का 88 वा जन्मदिवस सिसौली से लेकर देश भर में बाबा के अनुयायियों द्वारा किसान जागृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा सभी सोशल नेटवर्किंग से जुड़े किसान पुत्रो से आग्रह है कृपया आप सभी 6 अक्टूबर को #BabaTikaitBirthday Hag Tag के साथ फेसबुक व ट्विटर पर ज्यादा से ज्यादा कमेंट वह ट्वीट करें के किसानों के मसीहा महात्मा टिकैत का जन्म 6 अक्टूबर 1935 में हुआ उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गाँव में एक जाट परिवार में हुआ था। 1986 में ट्यूबवेल की बिजली दरों को बढ़ाए जाने के ख़िलाफ़ मुज़फ्फरनगर के शामली से एक बड़ा आंदोलन शुरु किया था। जिसमे मार्च 1987 में प्रसाशन और राजनितिक लापरवाही से संघर्ष हुआ और दो किसानो और पीएसी के एक जवान की मौत हो गयी ! इसके बाद टिकैत राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गये ! बाबा टिकेत की अगुवाई में आन्दोलन इस कदर मजबूत हुआ कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह को खुद सिसौली ग्राम में आकर पंचायत को संबोधित करना पड़ा और किसानो को राहत दी गयी ! हम बात कर रहे है किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक स्व महेंद्र सिंह टिकैत की , जिन्हें लोग बाबा टिकैत और महात्मा टिकैत के नाम से भी बुलाते थे ! इस आन्दोलन के बाद बाबा टिकैत की छवि मजबूत हुई और देशभर में घूम घूम कर उन्होंने किसानो के हक़ के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया ! कई बार राजधानी दिल्ली में भी धरने प्रदर्शन किये गये ! हालाकि उनके आन्दोलन राजनीति से दूर होते थे , टिकैत जाटों के रघुवंशी गौत्र से थे लेकिन बालियान खाप में सभी बिरादरियां थीं। टिकैत ने खाप व्यवस्था को समझा और ‘जाति’ से अलग हटकर सभी बिरादरी के किसानो के लिए काम करना शुरू किया ! किसानो में उनकी लोकप्रियता बढती जा रही थी ! इसी क्रम में उन्होंने 17 अक्टूबर 1986 को किसानों के हितों की रक्षा के लिए एक गैर राजनीतिक संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन’ की स्थापना की। किसानो के लिए लड़ाई लड़ते हुए अपने पूरे जीवन में टिकैत करीब 20 बार से ज्यादा जेल भी गये ! लेकिन उनके समर्थको ने उनका साथ हर जगह निभाया ! अपने पूरे जीवन में उन्होंने विभिन्न सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज़ , म्रत्युभोज , अशिक्षा और भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों पर भी आवाज उठायी ! बाबा टिकैत की पंचायतो और संगठन में जाति धर्म लेकर कभी भेदभाव नहीं दिखा ! जाट समाज के साथ ही अन्य कृषक बिरादरी भी उनके साथ उनके समर्थन में होती थी ! खाद पानी बिजली की समस्याओं को लेकर जब किसान सरकारी दफ्तरों में जाते तो उनकी समस्याओं को सरकारी अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते थे ! टिकैत ने किसानो की समस्याओं को जोरदार तरीके से रखना शुरू किया ! 1988 में दिल्ली में वोट क्लब में दिए जा रहे एक बड़े धरने को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा था – “इंडिया वालों खबरदार, अब भारत दिल्ली में आ गया है*।”
*उनका हल्का सा इशारा चुनाव की दिशा बदल देता था ! इसी वजह से अधिकतर जनप्रतिनिधि बाबा के वहां हाजिरी देंते थे ! सियासी लोग उनसे करीबी बनाने का बहाना ढूँढ़ते ! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर कई अन्य कद्दावर नेता भी बाबा के यहाँ आते रहते ! लेकिन उनके लिए किसानो की समस्याए और लड़ाई राजनीति से ऊपर रही ! बाबा टिकैत किसानो की न सुनने वाले नेताओं के खिलाफ सीधे पैनी की ठुड्डी लगाने की बात करते*
अपने अंतिम समय में जब उनका स्वास्थ्य बेहद ख़राब था तो खाप के खिलाप की गयी सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी पर उन्होंने कहा था
*इल्जाम भी उनके, हाकिम भी वह और ठंडे बंद कमरे में सुनाया गया फैंसला भी उनका…..लेकिन एक बार परमात्मा मुझे बिस्तर से उठा दे तो मैं इन्हें सबक सिखा दूंगा कि किसान के स्वाभिमान से खिलबाड़ का क्या मतलब होता है*…..’
उनका कहना था कि खाप पंचायते किसानो के हक़ की लड़ाई लडती है उनकी मांग उठाती है , राजनितिक कारणों से उनकी आवाज को दबाया जा रहा है !
*किसानो के ये नेता अपने अंतिम समय तक किसानो के हितो के लिए संघर्ष करते रहे ! बिमारी की अवस्था में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उन्हें सरकारी खर्च पर दिल्ली में इलाज कराने को कहा तो वो ठहाके लगाकर हस पड़े ! और प्रधानमंत्री जी से कहा कि उनकी हालत ठीक नहीं है और पता नहीं कब क्या हो जाए लेकिन उनके जीते जी अगर केंद्र सरकार किसानो की भलाई के लिए कुछ ठोस कर दे तो आखिरी समय में वह राहत महसूस कर सकेंगे और उन्हें दिल से धन्यवाद देंगे* !
*15 मई 2011 को 76 वर्ष की उम्र में केंसर के कारण महेंद्र सिंह टिकैत जी की म्रत्यु हो गयी ! और किसानो की लड़ाई लड़ने वाला ये योध्दा हमेशा के लिए शांत हो गया ! लेकिन अफ़सोस कि अपने जीवन भर किसानो के हक़ की लड़ाई लड़ने वाले टिकेत के जाने के बाद भी सरकारे किसानो के लिए ठोस कदम नहीं उठा पायी* !
– महात्मा टिकैत के जन्मदिवस पर शत-शत नमन !!*
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