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भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने अपनी 135 वर्षों की गौरवशाली यात्रा में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ अर्जित की हैं और पशुओं के कल्याण के क्षेत्र में संस्थान देश अनुकरणीय उदाहरण बन चुका है
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जब भी कोई शोध कार्य किया जाए, उसमें पशु कल्याण की भावना अनिवार्य रूप से शामिल होनी चाहिए
- माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू
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दीक्षांत समारोह एक प्रेरणादायक अवसर होता है जहाँ छात्र-छात्राओं को भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त होता है
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विश्वविद्यालयों को केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज की आवश्यकताओं को समझते हुए अनुसंधान और नवाचार द्वारा महिलाओं, बच्चों, किसानों एवं अन्य ज़रूरतमंद वर्गों की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में भी कार्य करना चाहिए
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जब तक हम स्वयं महिलाओं और किसानों के साथ बैठकर उनकी वास्तविक ज़रूरतों और समस्याओं को नहीं समझेंगे, तब तक उनके लिए सार्थक समाधान संभव नहीं हो सकता
- माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल
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भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने बरेली को शैक्षणिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में एक नई पहचान दी है
- माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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लखनऊ : 30 जून, 2025
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली के 11वें दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन देश की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। समारोह में राष्ट्रपति महोदया ने मेधावी विद्यार्थियों को उपाधियाँ एवं पदक प्रदान किए, वहीं राज्यपाल महोदया ने छात्र-छात्राओं को प्रेरणादायी मार्गदर्शन देते हुए उच्च शिक्षा, अनुसंधान व सामाजिक सेवा के प्रति उनकी भूमिका को रेखांकित किया।इस अवसर पर देश की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सभी छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने अपनी 135 वर्षों की गौरवशाली यात्रा में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ अर्जित की हैं और पशुओं के कल्याण के क्षेत्र में संस्थान अनुकरणीय उदाहरण बन चुका है। हमारी संस्कृति में यह माना गया है कि ईश्वर का वास समस्त जीवों में होता है। पशुओं को हम देवत्व से जोड़कर देखते हैं, हमारे कई देवी-देवताओं ने पशुरूपों में अवतार लिए हैं। जब भी कोई शोध कार्य किया जाए, उसमें पशु कल्याण की भावना अनिवार्य रूप से शामिल होनी चाहिए। राष्ट्रपति महोदया ने पर्यावरण संतुलन के संरक्षण में पशु प्रजातियों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि कुछ दुर्लभ प्रजातियाँ जैसे गिद्ध विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रजातियों को बचाना न केवल जैव विविधता के लिए, बल्कि संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं अपने-अपने स्तर पर अच्छा कार्य कर रहे हैं। मेडल प्राप्त करने वाला विद्यार्थी श्रेष्ठ कार्य के लिए सम्मानित होता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि शेष विद्यार्थियों ने कम प्रयास किए। कई बार प्रथम और द्वितीय स्थान के बीच केवल एक या दो अंकों का ही अंतर होता है। इसलिए जिन्हें आज पुरस्कार नहीं मिला है, उन्हें भी निराश नहीं होकर प्रसन्नता के साथ अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए। दीक्षांत समारोह केवल सम्मान देने का अवसर नहीं होता, यह एक प्रेरणादायक अवसर होता है जहाँ छात्र-छात्राओं को भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त होता है। यह परंपरा वर्षों से चलती आ रही है और इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अपने जीवन के अगले पड़ाव के लिए तैयार करना होता है।
राज्यपाल जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के विजन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, शोध, नवाचार, पाठ्यक्रमों में बदलाव और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में ठोस पहल की। कृषि विश्वविद्यालयों को भी नैक मूल्यांकन व एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए प्रेरित किया गया तथा मार्गदर्शन दिया गया। उन्होंने बताया कि अयोध्या स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड प्राप्त किया है और मेरठ स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने ए ग्रेड प्राप्त किया है, जो प्रदेश के कृशि विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक गुणवत्ता के सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
राज्यपाल महोदया ने कहा कि विश्वविद्यालयों को केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज की आवश्यकताओं को समझते हुए अनुसंधान और नवाचार द्वारा महिलाओं, बच्चों, किसानों एवं अन्य ज़रूरतमंद वर्गों की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में भी कार्य करना चाहिए। नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों को यह भी देखना चाहिए कि छात्रों में कौन-सा कौशल है, वे समाज के किन वर्गों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हैं और कैसे अपने ज्ञान को समाज के लिए उपयोगी बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को समाज के उन वर्गों तक भी ज्ञान को पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, जैसे महिलाएं और किसान। उन्होंने कहा कि वे स्वयं कृषि और पशुपालन दोनों क्षेत्रों से जुड़ी रही हैं और उनका अनुभव बताता है कि जब तक हम स्वयं महिलाओं और किसानों के साथ बैठकर उनकी वास्तविक ज़रूरतों और समस्याओं को नहीं समझेंगे, तब तक उनके लिए सार्थक समाधान संभव नहीं हो सकता।
उन्होंने गुजरात के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2003 में गुजरात में ‘लैब टू लैंड’ की पहल के तहत वैज्ञानिकों को सीधे किसानों से जोड़ने का अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान में स्वयं सभी मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधि भी सहभागी बनते थे और रथयात्रा के माध्यम से गाँव-गाँव जाकर किसानों से संवाद किया जाता था। उन्हीं बैठकों और बातचीत के परिणामस्वरूप गाँवों में सकारात्मक बदलाव संभव हुए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विश्वविद्यालयों को भी ऐसे प्रयास करने चाहिए, जिससे उनके शोध और ज्ञान का लाभ सीधे ग्रामीण समाज को मिल सके।
राज्यपाल महोदया ने महिलाओं की संघर्षशीलता और समाज निर्माण में उनकी भूमिका की सराहना करते हुए माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महोदया आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। यह गर्व का विषय है कि राष्ट्रपति जी स्वयं इस दीक्षांत समारोह में आप सभी को सम्मानित करने आई हैं, और यह आप सभी विद्यार्थियों के लिए एक विशेष अवसर है।
राज्यपाल जी ने विद्यार्थियों को संदेश देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में जो भी ज्ञान उन्हें प्राप्त हुआ है, उसका विस्तार हर किसान और हर महिला तक होना चाहिए। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे यह संकल्प लें कि जो भी उन्होंने सीखा है, उसका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाएँगे तथा अपने माता-पिता का सम्मान करेंगे।
उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देशित किया कि भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इसके लिए विश्वविद्यालय को स्वयं आगे बढ़कर परियोजनाएँ (प्रोजेक्ट्स) तैयार करनी चाहिए, प्रस्ताव भेजने चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें इन योजनाओं से बजट प्राप्त हो। इस बजट का उपयोग विद्यार्थियों के शोध, विकास एवं प्रशिक्षण के साथ-साथ समाज हित में उपयोग किया जाना चाहिए।
राज्यपाल महोदया ने पशुपालन क्षेत्र को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह न केवल रोजगार सृजन का सर्वोत्तम माध्यम है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला प्रमुख क्षेत्र भी है। उन्होंने सभी शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने अनुसंधानों को केवल पुस्तकों तक सीमित न रखें, बल्कि उसका व्यावहारिक प्रयोग कर किसानों और पशुपालकों तक पहुँचाने का प्रयास करें।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आदरणीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का उत्तर प्रदेश की पौराणिक और ऐतिहासिक नगरी बरेली में आगमन पर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करते हुए कहा कि यह नगर ’नाथ नगरी’ के रूप में प्रसिद्ध है और महाभारत काल में ‘पांचाल देश’ के रूप में इसकी पहचान रही है। मुख्यमंत्री जी ने बताया कि इस नगर में सात प्राचीन देवाधिदेव महादेव के मंदिर स्थित हैं, जिन्हें ‘नाथ कॉरिडोर’ के रूप में वर्तमान में विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना बरेली की पौराणिक विरासत को न केवल संरक्षित कर रही है, बल्कि इस नगर को एक नई सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान भी प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत के इतिहास में भी बरेली की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। आज से 136 वर्ष पूर्व स्थापित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने बरेली को शैक्षणिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में एक नई पहचान दी है। यह अत्यंत गौरव का क्षण है कि हम सभी भारत गणराज्य की राष्ट्रपति महोदया के स्वागत के साथ-साथ देश की युवा पीढ़ी को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में डिग्रियाँ प्राप्त करते हुए देख रहे हैं। यह समारोह न केवल शिक्षाविदों के लिए, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री, भारत सरकार, श्री शिवराज सिंह चौहान, माननीय राज्यपाल झारखंड, श्री संतोष गंगवार, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, भारत सरकार श्री भागीरथ चौधरी,. कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव तथा आई०सी०ए०आर० के महानिदेशक, डॉ. मांगी लाल जाट, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के निदेशक एवं कुलपति, डॉ. त्रिवेणी दत्त, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के डीन डॉ संजोद कुमार मेंदीरत्ता, संस्थान के पूर्व निदेशकगण, कुलपतिगण, वैज्ञानिक बंधु, छात्र-छात्राएं व उनके अभिभावकगण सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।
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