मुख्यमंत्री दानवीर भामाशाह जी की जयन्ती की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘व्यापारी कल्याण दिवस’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए


मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च राजस्व कर देने वाले व्यापारियों को ‘भामाशाह सम्मान’ प्रदान किया तथा समाज में विशेष योगदान देने वाले व्यापारियों का सम्मान किया

जब भी हमारा देश स्वदेश, स्वाभिमान और स्वधर्म की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप का स्मरण करेगा, तो दानवीर भामाशाह का नाम स्वतः ही सबकी जुबान पर होगा : मुख्यमंत्री

महाराणा प्रताप ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अकबर का पूरी क्षमता से सामना किया

लम्बे समय तक महाराणा प्रताप को जंगलों में ही जीवन-यापन करना पड़ा, लेकिन उन्होंने विदेशी हुकूमत के सामने सिर नहीं झुकाया

दानवीर भामाशाह जी ने अपनी सारी सम्पत्ति सेना के पुनर्गठन के लिए महाराणा प्रताप को अर्पित की
 
देशभक्ति के इस भाव को आज प्रधानमंत्री जी राष्ट्र प्रथम के रूप में आगे बढ़ा रहे

जब देश सुरक्षित रहेगा, तभी धर्म सुरक्षित रहेगा और जब धर्म सुरक्षित रहेगा, तभी हम सुरक्षित रहेंगे

श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया कि देश, धर्म, लोककल्याण एवं गरीब कल्याण के लिए किया जाने वाला दान हमेशा सार्थक होता

वर्तमान पीढ़ी को महाराणा प्रताप तथा भामाशाह जी के बारे में बताया जाना चाहिए

प्रदेश सरकार द्वारा ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन रिवर’ की परिकल्पना के तहत हर जनपद की एक-एक नदी के पुनरुद्धार तथा वृक्षारोपण से प्रदेश भर के व्यापारियों को इस अभियान से जुड़ना चाहिए

भामाशाह जी की जयन्ती 29 जून को हर वर्ष आयोजित की जानी चाहिए, ‘व्यापारी कल्याण दिवस’ के अवसर पर प्रदेश के हर जनपद में सर्वाधिक जी0एस0टी0 देने वाले 10-10 व्यापारियों का सम्मान किया जाना चाहिए

लखनऊ : 28 जून, 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा जब भी हमारा देश स्वदेश, स्वाभिमान और स्वधर्म की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप का स्मरण करेगा, तो दानवीर भामाशाह का नाम स्वतः ही सबकी जुबान पर होगा। दानवीर भामाशाह का जन्म 29 जून, 1547 को भक्ति और शक्ति की धरती राजस्थान में हुआ था। वह व्यापारिक वृत्ति के थे एवं उनकी निष्ठा मेवाड़ राजवंश के प्रति थी। उन्हें महामंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। मेवाड़ राजवंश के सभी दान पत्र दानवीर भामाशाह जी द्वारा ही लिखे जाते थे।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन सभागार में दानवीर भामाशाह जी की जयन्ती की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘व्यापारी कल्याण दिवस’ के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने सर्वोच्च राजस्व कर देने वाले व्यापारियों को भामाशाह सम्मान प्रदान किया। उन्होंने समाज में विशेष योगदान देने वाले व्यापारियों का सम्मान भी किया। मुख्यमंत्री जी ने दानवीर भामाशाह जी एवं भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के व्यापार अनुकूल माहौल पर आधारित लघु फिल्म प्रदर्शित की गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब अकबर का लालच और विद्वेष का भाव बढ़ता गया, अनेक राजाओं के द्वारा अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली गयी, उस समय भी मेवाड़ जैसा राजवंश देश और धर्म की रक्षा के लिए विदेशी दासता के अधीन कार्य करने को सहमत नहीं हुआ। हल्दीघाटी के युद्ध में एक तरफ लाखों की सेना, तो दूसरी तरफ 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप थे। महाराणा प्रताप ने अकबर का पूरी क्षमता से सामना किया, लेकिन उसकी लाखों की सेना के सामने ज्यादा देर तक नहीं टिक पाए। चेतक गिर गया। महाराणा प्रताप को जंगलों में जाना पड़ा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लम्बे समय तक महाराणा प्रताप को जंगलों में ही  जीवन-यापन करना पड़ा। कई-कई दिनों तक उन्हें घास की रोटी भी खानी पड़ी। लेकिन देश और धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने विदेशी हुकूमत के सामने सिर नहीं झुकाया। उस समय महाराणा प्रताप के सामने सिर्फ यही लक्ष्य था कि हर हाल में मेवाड़ की रक्षा करनी है और स्वाधीनता की लौ को जलाये रखना है। इस कार्य में उन्हें अरावली के जंगलों की विभिन्न जनजातियों का साथ मिला।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाराणा प्रताप के लिए उस समय सेना का संगठन आवश्यक था, लेकिन यह कार्य कठिन था। दानवीर भामाशाह उन्हें अपनी सम्पत्ति देने के लिए उपस्थित हुए। भामाशाह जी ने कहा कि उनकी जितनी सम्पत्ति है, वह सेना के पुनर्गठन के लिए अर्पित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जो सम्पत्ति उनके द्वारा अर्जित की गयी है, वह इसी देश से अर्जित की गयी है। इसीलिए वह इस सम्पत्ति को देश के लिए समर्पित कर रहे हैं।
उस समय महाराणा प्रताप को भामाशाह जी ने जो सहयोग किया था, वह 25 हजार सैनिकों के लिए 12 वर्षां तक वेतन, रहने खाने की व्यवस्था तथा युद्ध की सामग्री उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त था। इसी के बल पर महाराणा प्रताप ने फिर से सेना संगठित की और अकबर द्वारा मेवाड़ व चित्तौड़गढ़ के जीते गये किले तथा दुर्गां को वापस लिया। महाराणा प्रताप ने स्वयं को स्वाधीन घोषित किया। 500 वर्षां पूर्व देशभक्ति के इस भाव को आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी राष्ट्र प्रथम के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। जब देश सुरक्षित रहेगा, तभी धर्म सुरक्षित रहेगा और जब धर्म सुरक्षित रहेगा, तभी हम सुरक्षित रहेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दान, भोग तथा नाश यह धन की तीन गतियां हैं। दान आपको यशस्वी बनाता है। धन का भोग कुछ समय के लिए आनन्द देता है, बाद में यह बीमार कर देता है। तीसरा गलत तरीके से अर्जित धन नाश का कारण भी बनता है। आपने प्रदेश में माफियाओं के नाश को देखा होगा। दान देश, काल और पात्र को देखकर किया जाना चाहिए। श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है कि देश, धर्म, लोककल्याण एवं गरीब कल्याण के लिए किया जाने वाला दान हमेशा सार्थक होता है और यह व्यक्ति को यशस्वी बनाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज हम यहां पर भामाशाह जी की जयन्ती की पूर्व संध्या पर एकत्र हुए हैं। उन्होंने श्री श्याम नारायण पाण्डेय की कविता हल्दीघाटी की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘यह एकलिंग का आसन है, इस पर न किसी का शासन है। नित सिहक रहा कमलासन है, यह सिंहासन सिंहासन है। यह सम्मानित अधिराजों से, अर्चित है, राज-समाजों से। इसके पद-रज पोंछे जाते, भूपों के सिर के ताजों से। इसकी रक्षा के लिए हुई, कुबार्नी पर कुर्बानी है। राणा! तू इसकी रक्षा कर, यह सिंहासन अभिमानी है।’ यह पंक्तियां महाराणा प्रताप पर पूरी तरह सार्थक हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब भी देश पर संकट आता है, तो हर भारतवासी महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज तथा गुरु गोबिन्द सिंह जी का स्मरण करता है। इन्होंने अपने लिए नहीं, बल्कि देश व धर्म के लिए जीवन जिया था। धर्म इनके लिए उपासना पद्धति मात्र नहीं था, बल्कि एक जीवन पद्धति था। वर्तमान पीढ़ी को महाराणा प्रताप तथा भामाशाह जी के बारे में बताया जाना चाहिए। यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मध्य काल में जो कार्य देश, धर्म व स्वामिभक्ति के लिए दानवीर भामाशाह जी ने किया, कालान्तर में देश में ऐसी स्थिति पुनः देखने को मिली। स्वामी विवेकानन्द जी को शिकागो के धर्म सम्मेलन में जाने के लिए मैसूर के महाराज चामराजेन्द्र वाडियार तथा खेतड़ी, राजस्थान के महाराजा अजीत सिंह ने सहायता की थी। इसी प्रकार भारतीय संविधान के शिल्पी और भारतरत्न बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर जी को विदेश जाने के लिए बड़ोदरा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने स्कॉलरशिप उपलब्ध करायी थी। इन उदाहरणों में कहीं भी जाति भेद नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में कुछ लोग समाज को जाति के नाम पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं। यह वहीं लोग हैं, जिन्हें अवसर मिला था, तो उन्होंने माफियाओं के सामने घुटने टेक दिये थे। ऐसे लोगों ने एक जनपद एक माफिया की स्थिति पैदा कर प्रदेश की कानून-व्यवस्था चौपट कर दी थी। हमारी सरकार ने कानून-व्यवस्था पर संकट लाने वाले लोगों से सख्ती से निपटने का कार्य किया है। अब जो भी बहन, बेटियों और व्यापारियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करेगा, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पहले प्रदेश पहचान के संकट से गुजर रहा था। उत्तर प्रदेश के नाम से लोग अपना माल भेजने से डरते थे। आज यहां सुरक्षा का बेहतरीन वातावरण है। हम हर प्रकार से आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से डबल इंजन सरकार सकारात्मक सोच के साथ कार्य कर रही है। इसी के दृष्टिगत हमने प्रदेश के परम्परागत उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना संचालित की है। इसके माध्यम से करोड़ों लोगों को रोजगार मिला है। व्यापारियों को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक प्लेटफॉर्म मिला है। यह योजना एक्सपोर्ट का माध्यम बनी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भामाशाह जी की जयन्ती 29 जून को हर वर्ष आयोजित की जानी चाहिए। ‘व्यापारी कल्याण दिवस’ के अवसर पर प्रदेश के हर जनपद में सर्वाधिक जी0एस0टी0 देने वाले 10-10 व्यापारियों का सम्मान किया जाना चाहिए। प्रदेश स्तर पर सर्वाधिक जी0एस0टी0 देने वाले व्यापारियों का राजधानी लखनऊ में भव्य समारोह में सम्मान किया जाना चाहिए। इस दिवस पर ही उन व्यापारियों को जिन्होंने जी0एस0टी0 रजिस्ट्रेशन कराया हो तथा दुर्भाग्यवश किसी दुर्घटना का शिकार हो गये हों, तो व्यापारी कल्याण बोर्ड के माध्यम से 10 लाख रुपये की सुरक्षा बीमा की राशि उनके आश्रितों को वितरित करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी व्यापारियों को अपने स्तर पर रोजगार सृजन और प्रदूषण से मुक्त व्यवस्था देने जैसे कार्यों से जुड़ना चाहिए। प्रदेश सरकार द्वारा ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन रिवर’ की परिकल्पना के तहत हर जनपद की एक-एक नदी के पुनरुद्धार का दायित्व लिया गया है। यहां वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी होना है। प्रदेश भर के व्यापारियों को इस अभियान से जुड़ना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने देश के सामने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ का लक्ष्य रखा है। सभी व्यापारी इससे जुड़े और इसे सफल बनाएं। पर्यावरण की सुरक्षा सभी का दायित्व है। प्रदेश की डबल इंजन सरकार उनके हितों को संरक्षण तथा सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिस समय महाराणा प्रताप को सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, उस समय भामाशाह जी ने स्वयं आगे बढ़कर अपनी सारी सम्पत्ति उनके चरणों में समर्पित की थी। मुख्यमंत्री जी ने कानून-व्यवस्था की सुदृढ़ स्थिति से प्रदेश में व्यापार अनुकूल माहौल बनाया है। उन्होंने भामाशाह जी की जयन्ती को ‘व्यापारी कल्याण दिवस’ के रूप में मनाए जाने का संकल्प लिया था, जिसके अनुरूप आज यह दिवस आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर लखनऊ की महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल, विधायक श्री नीरज बोरा, श्री राजेश्वर सिंह, प्रमुख सचिव नियुक्ति श्री एम0 देवराज, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री मुकेश कुमार मेश्राम, व्यापारी कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री रविकान्त गर्ग, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संदीप बंसल, हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री ज्ञानचन्द्र गुप्ता एवं व्यापारीगण उपस्थित थे।

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