मुख्यमंत्री के संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए सभी विभाग कर रहे युद्धस्तर पर प्रयास
जनसहयोग से प्रदेश में चलेगा व्यापक पुनर्वास और जागरूकता अभियान
उत्तर प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन हेतु 2027 तक राज्य को बाल श्रम मुक्त करने का लक्ष्य
सरकार जन सहयोग और विभागीय समन्वय से इस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास कर रही है
10 जनपद पहले ही बाल श्रम मुक्त घोषित हो चुके हैं, और शेष जनपदों के लिए सघन अभियान चलाया जा रहा है
सरकार ने 11,000 से अधिक बाल श्रमिकों का पुनर्वास किया है
बाल श्रम उन्मूलन के लिए व्यापक जन सहयोग की अपील
लखनऊ : 19 जून, 2025
अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर आयोजित ‘बाल श्रम निषेध सप्ताह’ (12 से 17 जून 2025) के समापन समारोह का आयोजन इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ के मार्स ऑडिटोरियम में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री अनिल राजभर ने स्पष्ट कहा कि मुख्यमंत्री जी का संकल्प है कि 2027 तक उत्तर प्रदेश को बाल श्रम मुक्त करना है। इसे जनसहयोग, विभागीय समन्वय और हमारे सतत प्रयासों से इसे प्राप्त किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक बाल श्रमिक अफ्रीका में हैं, इसके बाद एशिया और एशिया में भारत, जहां उत्तर प्रदेश की स्थिति भी चिन्ता जनक है। यह सामाजिक चुनौती है, जिसका समाधान केवल सरकारी प्रयासों से नहीं होगा, बल्कि प्रदेश की जनता को भी इसमें सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। 10 जनपद अब तक बाल श्रम मुक्त घोषित हो चुके हैं। प्रदेश सरकार शेष जनपदों को 2027 तक बाल श्रम मुक्त करने के लिए सघन अभियान चला रही है। यह केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं है, यह समाज की साझी जिम्मेदारी है। भारत सरकार ने भी उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की है। कोई भी सरकारी संकल्प तब तक पूर्ण नहीं होता, जब तक जनता का व्यापक सहयोग न मिले। सभी नागरिकों से अनुरोध है कि इस अभियान में सक्रिय भागीदारी करें, ताकि उत्तर प्रदेश बाल श्रम मुक्त बन सके।
प्रमुख सचिव डॉ. एम.के. शनमुगा सुन्दरम ने कहा कि बाल श्रम केवल सामाजिक नहीं, बल्कि वैश्विक चुनौती है। उत्तर प्रदेश को ऐसा उदाहरण बनाना है, जहां हर बच्चा स्कूल जाए, सुरक्षित रहे और गरिमा के साथ जीवन यापन करे।“ उन्होंने यूनीसेफ के सहयोग की सराहना करते हुए सभी विभागों के बीच आपसी समन्वय को मजबूत करने पर बल दिया।
श्रम आयुक्त श्री मार्कण्डेय शाही ने बताया कि गत वर्ष श्रम विभाग ने प्रदेश में 11,000 से अधिक बाल श्रमिकों को चिन्हित कर उनका पुनर्वास कराया है। हम पंचायत स्तर तक निगरानी समितियां बनाकर, बाल पुनर्वास कोष का प्रभावी उपयोग कर रहे हैं। जब तक प्रदेश बाल श्रम मुक्त नहीं हो जाता, यह अभियान सतत जारी रहेगा।
श्रम एवं सेवायोजन विभाग के विशेष सचिव श्री कुणाल सिल्कू ने मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों, विभागीय अधिकारियों, विशेषज्ञों और सहभागी बच्चों का स्वागत किया। यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक श्री अमित मेहरोत्रा ने अपने वक्तव्य में कहा कि बाल श्रम हर बच्चे के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर राज्य कार्ययोजना के धरातल पर क्रियान्वयन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम में हाल ही में जिनेवा में आईएलओ एवं यूनिसेफ द्वारा प्रस्तुत वैश्विक रिपोर्ट के मुख्य बिंदु साझा किए गए। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में विश्व भर में 13.8 करोड़ बच्चे बाल श्रम में संलिप्त पाए गए, जिनमें 5.4 करोड़ खतरनाक कार्य कर रहे हैं। रिपोर्ट ने चेताया है कि यदि वर्तमान प्रयासों की गति यही रही तो 2025 तक बाल श्रम उन्मूलन का वैश्विक लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रयासों को 11 गुना तेज करना होगा। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार एक करोड़ से अधिक बाल श्रमिक हैं, जिनमें से 2.5 लाख उत्तर प्रदेश में हैं। प्रदेश में बाल श्रम का 64 प्रतिशत हिस्सा कृषि, घरेलू कार्य और छोटे उद्योगों में है।
कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के माधव जी, महिला कल्याण विभाग के बी.एस. निरंजन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के डॉ. सी.एस. बाजपेयी, पंचायती राज एवं ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों ने अपने-अपने विभाग की कार्ययोजना प्रस्तुत की। बाल कल्याण समिति कानपुर के सदस्य दीप अवस्थी ने बाल कल्याण समितियों की भूमिका विस्तार से बताई।
अटल आवासीय विद्यालय की महानिदेशक श्रीमती पूजा यादव ने विद्यालय की प्रगति एवं बाल श्रमिकों के लिए विशेष व्यवस्थाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर अटल विद्यालय पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन भी किया गया। मुख्य अतिथि श्री अनिल राजभर द्वारा बाल श्रम उन्मूलन पर आधारित दो पोस्टर और योजनाओं से संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया गया।
समारोह में भिक्षावृत्ति से मुक्त कराई गई पायल और माही को मंच पर सम्मानित किया गया। दोनों बालिकाओं ने अपने जीवन संघर्ष साझा करते हुए डॉक्टर बनने की इच्छा व्यक्त की। लखनऊ और कानपुर के बाल श्रमिक विद्या योजना से जुड़े बच्चों अनिका यादव, समृद्धि यादव, अभिषेक विश्वकर्मा, अभिनव विश्वकर्मा, अनाया गुप्ता, पलक कश्यप, पारस कश्यप, फारा और हिफ्ज़ा सहित अन्य बच्चों को भी योजनाओं से लाभान्वित किया गया।
उ.प्र. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की मातृत्व एवं शिशु हित योजनाओं के अंतर्गत अशोक कुमार, कुंती यादव, राहुल लोधी व अनित को भी लाभ प्रदान किया गया। श्रम आयुक्त श्री मार्कण्डेय शाही ने सभी उपस्थित जनों को बाल श्रम उन्मूलन एवं पुनर्वास के लिए शपथ दिलाई।
कार्यक्रम के समापन सत्र में एम्प्लॉयर एसोसिएशन, ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों, भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री श्री अनिल उपाध्याय और आईआईए के चेयरपर्सन ने बाल श्रम के विरुद्ध साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की। बाल श्रम उन्मूलन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 10 जनपदों - गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, कानपुर नगर, लखनऊ, गाजियाबाद, आगरा, जौनपुर, उन्नाव, मुजफ्फरनगर और आजमगढ़ को सम्मानित किया गया। साथ ही, बाल श्रमिक विद्या योजना सहित विभिन्न योजनाओं के 50 से अधिक लाभार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
इस अवसर पर श्रम विभाग, पुलिस, पंचायत, ग्राम्य विकास, शिक्षा, समाज कल्याण विभागों के अधिकारी, बाल श्रमिकों के परिजन, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थी, बाल श्रमिकों सहित लगभग 1000 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे।
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