राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को ग्रेड ‘ए‘ मिलने के उपरांत विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित कंपनियों में प्लेसमेंट मिलने तथा विदेशी छात्रों के नामांकन पर प्रसन्नता व्यक्त की
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कहीं भी कोई अच्छा कार्य दिखाई दे तो उसे अपने विश्वविद्यालय में अपनाने की भावना विकसित करें। विश्वविद्यालयों के मध्य चल रही उत्कृष्ट गतिविधियों की पुस्तक तैयार करके सभी संस्थान आपस में साझा करें, ताकि एक-दूसरे की अच्छी गतिविधियाँ प्रेरणास्रोत बन सकें
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आज महिलाएं कृषि और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में सक्रियता से भाग ले रही हैं, जो कि एक सकारात्मक परिवर्तन है
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विद्यार्थियों को प्रेरित किया जाए कि वे अपनी भूमि पर जैविक उत्पादन करें, ड्रिप इरीगेशन जैसी तकनीकों को अपनाएं और स्वस्थ भोजन की दिशा में जागरूक बनें
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विश्वविद्यालय में होने वाले शोध किसानों तक अवश्य पहुंचने चाहिए। रिसर्च के माध्यम से ऐसी बीज प्रजातियाँ विकसित की जाएं जो मौसमी प्रभावों से सुरक्षित रह सकें और उच्च उत्पादन दे सकें
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विश्वविद्यालय, विद्यार्थियों के कौशल की पहचान करे, उनकी रुचि के अनुसार उन्हें मार्गदर्शन दे। विद्यार्थियों को कार्यक्रमों का नेतृत्व करने, आयोजन करने और संचालन का अवसर दें। शिक्षक स्वयं एक आदर्श बनें क्योंकि विद्यार्थी उन्हीं को देखकर सीखते हैं
-राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल
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लखनऊ : 18 जून, 2025
प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल से आज राजभवन, लखनऊ में सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ की नैक टीम ने भेंट की। यह भेंट विश्वविद्यालय को पहले प्रयास में ही राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद बेंगलुरु द्वारा ग्रेड ‘ए‘ प्राप्त होने के उपलक्ष्य में की गई। टीम ने इस उपलब्धि के लिए राज्यपाल जी द्वारा समय-समय पर दिए गए मार्गदर्शन, प्रेरणा और सतत निगरानी के प्रति आभार प्रकट करते हुए इसे विश्वविद्यालय की सफलता का आधार बताया।सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन, दूरदर्शिता और सतत प्रेरणा से प्रदेश के विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। राज्यपाल जी न केवल विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक और शैक्षिक कार्यों की समीक्षात्मक बैठकों की नियमित अध्यक्षता करती हैं, अपितु प्रत्येक महत्वपूर्ण विषय पर गहन संवाद कर उन्हें सुधार की दिशा भी प्रदान करती हैं। उनका विशेष ध्यान इस बात पर रहता है कि विश्वविद्यालय केवल डिग्री प्रदाय संस्था बनकर न रह जाएं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार तथा सामाजिक उत्तरदायित्व के केंद्र बनें।
राज्यपाल जी द्वारा विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद में उच्च ग्रेड प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित किया गया है, साथ ही राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवक, एशिया रैंकिंग तथा वर्ल्ड रैंकिंग जैसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मान्यताओं में सहभागिता बढ़ाने तथा उच्चतम स्थान प्राप्त करने की दिशा में भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। वे स्वयं विश्वविद्यालयों की बारीकियों को समझते हुए योजनाबद्ध रणनीति और दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं। गुणवत्ता, नवाचार, चरित्र निर्माण और सामाजिक सहभागिता के समन्वय से विश्वविद्यालयों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की जो सतत प्रक्रिया उन्होंने आरंभ की है, उसके दूरगामी परिणाम आज प्रदेश के उच्च शिक्षा परिदृश्य में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल जी ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय को ‘ए‘ ग्रेड प्राप्त करने पर बधाई देते हुए कहा कि यह संस्थान की टीम के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। यह सोचना आवश्यक है कि श्रेष्ठतम ग्रेड प्राप्त करने से विश्वविद्यालय कैसे वंचित रह गया और उन कमियों को दूर करने के लिए योजना बनाई जाए। विश्वविद्यालय को यह संकल्प लेना चाहिए कि अगले मूल्यांकन में और बेहतर ग्रेड प्राप्त किया जाए। अपनी कमियों की पहचान स्वयं कीजिए और उन्हें सुधारिए, ताकि कोई दूसरा आपकी कमियों की ओर इंगित न कर सके। निरंतर नवाचार करते रहना और शोध द्वारा समस्याओं का समाधान ढूंढते रहना विश्वविद्यालय की बुनियादी जिम्मेदारी है।
राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय को ‘ए‘ ग्रेड मिलने के उपरांत विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित कंपनियों में प्लेसमेंट मिलने तथा विदेशी छात्रों के नामांकन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह विश्वविद्यालय की गुणवत्ता और विश्वसनीयता का प्रमाण है। इस दिशा में और प्रयास किए जाने चाहिए ताकि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में स्थान बनाया जा सके।
राज्यपाल जी ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय में सभी के लिए प्रोजेक्ट वर्क अनिवार्य किया जाए और योजनाबद्ध रूप से कार्य करें। योग तथा अन्य सह-शैक्षणिक गतिविधियों को पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाया जाए ताकि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो। कहीं भी कोई अच्छा कार्य दिखाई दे तो उसे अपने विश्वविद्यालय में अपनाने की भावना विकसित करें। विश्वविद्यालयों के मध्य चल रही उत्कृष्ट गतिविधियों की पुस्तक तैयार करके सभी संस्थान आपस में साझा करें, ताकि एक-दूसरे की अच्छी गतिविधियाँ प्रेरणास्रोत बन सकें।
उन्होंने कहा कि जब भी छात्रावास या अन्य संरचनाएं बनाई जाएं, तो उसमें छात्र-छात्राओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाए। छात्रावास सामूहिक जीवन जीने की संस्कृति का केंद्र होता है, अतः वहाँ रसोई की स्वच्छता, प्रार्थना की व्यवस्था, और विशेष रूप से छात्राओं की आवश्यकताओं की पूर्ति अनिवार्य हो। सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग एवं डिस्पोजल मशीन अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों को सप्ताह में एक दिन स्वयं रसोई का कार्य करना चाहिए ताकि उन्हें जीवन की व्यावहारिकता का अनुभव हो। विश्वविद्यालय में फूड प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए।
कुलाधिपति जी ने राजभवन का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां अधिकारियों और कर्मचारियों का हर तीन महीने में बी0एम0आई0 चेकअप होता है और प्रगति की समीक्षा की जाती है। इसी तर्ज पर विश्वविद्यालयों में भी बी0एम0आई0 जांच की मशीनें लगाई जानी चाहिए ताकि विद्यार्थियों और कर्मचारियों की नियमित स्वास्थ्य जांच संभव हो और सभी स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित हों।
उन्होंने बताया कि आज महिलाएं कृषि और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में सक्रियता से भाग ले रही हैं, जो कि एक सकारात्मक परिवर्तन है। पहले ऐसा नहीं होता था। विश्वविद्यालय को चाहिए कि वह इस प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करे और महिला विद्यार्थियों को इस दिशा में नवाचार करने के लिए प्रेरित करे। विश्वविद्यालय में हो रहे प्रत्येक नवाचार को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर नियमित रूप से अपलोड किया जाए। विद्यार्थियों को प्रेरित किया जाए कि वे अपने घरों की भूमि पर जैविक उत्पादन करें, ड्रिप इरीगेशन जैसी तकनीकों को अपनाएं और स्वस्थ भोजन की दिशा में जागरूक बनें।
राज्यपाल जी ने सख्त निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय में होने वाले शोध किसानों तक अवश्य पहुंचने चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि रिसर्च के माध्यम से ऐसी बीज प्रजातियाँ विकसित करने के शोध किये जाएं जो मौसमी प्रभावों से सुरक्षित रह सकें और उच्च उत्पादन दे सकें। किसानों को यह जानकारी दी जाए कि किस मौसम में कौन सी फसल उगानी चाहिए और उसकी माँग क्या है। कृषि में उत्पादन और मांग के बीच संतुलन रहना चाहिए।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने विश्वविद्यालय टीम को गुजरात के सफल प्रयोगों से प्रेरणा लेने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि गुजरात में ‘लैब टू लैंड’ के तहत किसानों को उन्नत और स्मार्ट खेती के लाभ मिले। नर्मदा नदी के जल का सुव्यवस्थित वितरण कर किसानों और आमजन को अधिकतम लाभ दिया गया। वहां कृषि यात्राओं के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित किया गया और गामा किरणों के माध्यम से अनाजों को सुरक्षित रखने की प्रभावी व्यवस्था की गई। इसी प्रकार विश्वविद्यालय को भी मिशन मोड में किसानों के लिए शोध करने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शोध कार्य केवल कागजों में न रह जाए, बल्कि उसके परिणाम किसानों तक पहुँचें।
राज्यपाल जी ने कहा कि विश्वविद्यालय बेटियों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर विशेष ध्यान दें। उनके लिए अनुकूल गतिविधियाँ, स्वस्थ व्यवहार, सहयोगात्मक स्वभाव और आत्मरक्षा की क्षमता का निर्माण किया जाए। उन्होंने गुरुकुल परंपरा से भी प्रेरणा लेने की बात कही। छात्रावासों में ऐसे संस्कार विकसित किए जाएं जो उन्हें उत्कृष्ट नागरिक बनाएँ। विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बनाना विश्वविद्यालयों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। कौशल की पहचान करें और उनकी रुचि के अनुसार उन्हें मार्गदर्शन, कार्यक्रमों का नेतृत्व करने, आयोजन करने और संचालन का अवसर दें। शिक्षक स्वयं एक आदर्श बनें क्योंकि विद्यार्थी उन्हीं को देखकर सीखते हैं। प्रधानमंत्री जी का ‘विकसित भारत’ का सपना तभी साकार होगा जब हम सब मिलकर संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेंगे। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, अतः यहाँ की जिम्मेदारी भी सबसे अधिक है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय, पूरे देश के पहले कृषि विश्वविद्यालय हैं जिन्हें राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद द्वारा ‘ए प्लस प्लस‘ ग्रेड प्रदान किया गया है। यह उपलब्धि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की प्रतिबद्धता और गुणवत्ता के प्रति उसकी संकल्पबद्धता को दर्शाती है। इस ऐतिहासिक सफलता के मूल में राज्यपाल जी का दूरदर्शी नेतृत्व और सतत मार्गदर्शन रहा है।
इसी प्रकार, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की घोषणा हुई, तब भी राज्यपाल जी ने पूरे देश में सबसे पहले उत्तर प्रदेश में इसके प्रभावी क्रियान्वयन की पहल की। उन्होंने विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति की मूल भावना को समझकर उसे जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की शुरुआत की। उनकी पहल से उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य बना, जिसने न केवल नई नीति को अंगीकार किया, बल्कि उसके लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में ठोस कदम भी उठाए। विश्वविद्यालय की नैक टीम ने मूल्यांकन की तैयारियों के दौरान आने वाली चुनौतियों को भी साझा किया।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल0 जानी, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 के0के0 सिंह, विश्वविद्यालय की नैक टीम, राजभवन के अधिकारी कर्मचारी सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।
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